तेनालीराम और बैंगन की सब्जी – Hindi Short Story With Moral

तेनालीराम और बैंगन की सब्जी – Hindi Short Story With Moral

Hindi Short Story With Moral

श्री कृष्ण देवराय विजयनगर के सम्राट थे। उनके 8 सलाहकार थे जिनमे से एक तेनालीराम भी था। तेनालीराम बहुत ही चालाक था। श्री कृष्ण देवराय के साम्राज्य में बैंगन का एक विशेष गार्डन था जिसमे उन्होंने बहुत से बैंगन लगाये थे। यह बैंगन बहुत ही स्वादिष्ट थे और उसकी सब्जी बहुत ही जायकेदार बनती थी। अब क्योंकि वह बैंगन बहुत ख़ास थे इसलिए सम्राट की इजाजत के बिना किसी को भी गार्डन में जाना मना था। 

एक बार सम्राट ने अपने सभी सलाहकारों के लिए एक सामूहिक रात्री भोजन का आयोजन किया और खाने में उन्ही विशेष बैंगन की सब्जी भी सलाहकारों को दी गयी। तेनालीराम ने भी बैंगन की सब्जी का लुफ्त उठाया और घर चला गया लेकिन वो उन बैंगन की सब्जी का स्वाद नही भूल पा रहा था। उसने अपनी पत्नी को भी उन स्वादिष्ट बैंगनो के बारे में बताया। तेनालीराम की पत्नी को भी बैंगन बहुत पसंद थे इसलिए उसने तेनालीराम से कुछ बैंगन घर ले कर आने को कहा ताकि वो भी घर में बैंगन की सब्जी बना कर उसका लुफ्त उठा सके लेकिन तेनालीराम जानता था की सम्राट अपने बैंगन के गार्डन की बहुत देखभाल करता है और अगर एक भी बैंगन गायब हुआ तो सम्राट को आसानी से पता चल जाएगा और वो बैंगन चुराने वाले को उसकी सजा भी देगा। 


लेकिन तेनालीराम की पत्नी ने उससे इस तरह बैंगन लाने की गुजारिस की ताकि किसी को इस बारे में पता न चल सके। अब तेनालीराम को लगा उसके पास चोरी से बैंगन लाने के अलावा और कोई विकल्प नही है। एक रात वो गार्डन में गया गार्डन की दीवार पार की और कुछ बैंगन तोड़ लिए, भगवान की दया से उसे किसी ने ऐसा करते हुए देखा नही और वो बैंगन चुरा कर घर वापिस आ गया। उसकी पत्नी ने बैंगन की सब्जी बनायी और वो बहुत स्वादिष्ट बनी। हर माँ की तरह उसकी पत्नी भी अपने बेटे को बहुत प्यार करती थी और चाहती थी की और वो भी स्वादिष्ट बैंगन की सब्जी का आनंद ले लेकिन तेनालीराम ऐसा नही चाहता था क्योंकि अगर उसका बेटा किसी को ये बात बता देता तो उसकी चोरी पकड़ी जाती और उसे बैंगन चुराने के जुर्म में सजा होती। 
लेकिन उसकी पत्नी नही मानी और वो किसी भी कीमत पर वो अपने बेटे जो की अपना होमवर्क पूरा करके छत पर सोया हुआ था को बैंगन की स्वादिष्ट सब्जी खिलाना चाहती थी उसे अकेले यह स्वादिष्ट बैंगन की सब्जी खाते हुए अच्छा नही लग रहा था। उसने तेनालीराम से कोई ऐसा रस्ता निकालने को कहा जिससे उसका बेटा भी स्वादिष्ट बैंगन की सब्जी खा सके। तेनालीराम भी अपने पुत्र को बहुत प्यार करता था इसलिए उसने बहुत सोचा और फिर उसे एक उपाय मिला उसने तुरंत पानी से भरी एक बाल्टी उठायी और छत पर चला गया जहा उसका पुत्र सोया हुआ था। उसने बाल्टी का पानी अपने पुत्र पर डाल दिया जिससे उसका पुत्र उठ गया, पुत्र के उठने परे उसने अपने पुत्र से कहा बारिश हो रही है नीचे चलो और चल कर खाना खाओ। नीचे जाने के बाद उसने अपने के पुत्र गीले कपड़े बदले और स्वादिष्ट बैंगन की सब्जी खाने को दी। उसके बाद ऊचे स्वर में अपनी पत्नी से बोला “बाहर बारिश हो रही है, इसे नीचे ही सुला दो”


अगले दिन सम्राट को पता चला की गार्डन से कुछ बैंगन गायब है। सम्राट ने यह बात बहुत ही गंभीरता से ली और उस आदमी को इनाम देने की घोषणा की जो चोर का पता लगाएगा। सम्राट के सलाहकारों में से एक सलाहकार को शक था की यह काम करने में केवल तेनालीराम ही सक्षम है और उसने सम्राट को यह बात बतायी। सम्राट ने दरबारियों को भेजा और तेनालीराम को तुरंत आने का बुलावा भेजा। जब तेनालीराम आया सम्राट ने उससे चोरी हुए बैंगन के बारे में पूछा, तेनालीराम बोला “मुझे चोरी हुए बैंगन के बारे में कुछ नही पता है” तब उस सलाहकार ने कहा “तेनालीराम झूट बोल रहा है उसके पुत्र को पूछताछ के लिए बुलाया जाये”
सम्राट ने दरबारियों को तेनालीराम के पुत्र को लाने को कहा जब तेनालीराम का पुत्र पहुचा तब सम्राट ने उससे पूछा “कल रात तुमने क्या खाना खाया था?” तेनालीराम के पुत्र ने जवाब दिया “बैंगन की सब्जी और वह बहुत स्वादिष्ट भी थी” यह सुनकर वो सलाहकार बोला “तेनालीराम अब तुम्हे अपना जुर्म कबूल कर लेना चाहिये” लेकिन तेनालीराम बोला कल रात उसका पुत्र बहुत जल्दी सो गया था और गहरी नींद में था हो सकता है ये जो कह रहा है ये सब उसने सपने में देखा हो। 
यह सुनकर सम्राट ने तेनालीराम के पुत्र से पूछा “क्या तुम बता सकते हो कल स्कूल से घर आने के बाद तुमने की क्या-क्या किया?”
तेनालीराम के पुत्र ने जवाब दिया “कल स्कूल से आने के बाद कुछ देर मैंने खेला इसके बाद मै छत पर गया अपना होमवर्क पूरा किया और फिर छत पर ही सो गया लेकिन जब बारिश शुरू हुई तो पिता जी मेरे पास आये और मुझे जगाया मेरे कपड़े पूरी तरह गीले हो चुके थे इसलिए निचे जाकर मैंने कपड़े बदले और फिर हम खाना खाकर सो गये”
वह सलाहकार अचंभित रह गया क्योंकि बीते हुए कल में बारिश हुई ही नही थी और मौसम पूरी तरह खुला था इसलिए उसने भी मान लिया की तेनालीराम का पुत्र जो कह रहा है वो उसने सपने में ही देखा होगा इस तरह तेनालीराम को छोड़ दिया गया। हलाकि बाद में तेनालीराम को लगा की यह गलत है और उसने स्वयं ही सारा सच सम्राट को बता दिया, सम्राट तेनालीराम की तीक्ष्ण बुद्धि से बहुत प्रभावित हुआ और उसे माफ़ कर दिया गया। 


शिक्षा – इस कहानी से हम आपको चोरी के लिए प्रेरित नही कर रहे क्योंकि चोरी किसी भी चीज की हो वो गलत है। इस कहानी से आपको यह शिक्षा मिलती है की परिस्थिति चाहे कितनी भी जटिल या विपरीत क्यों न हो अपनी तीक्ष्ण बुद्धि का प्रयोग कर आप ऐसी परिस्थिति से आसानी से निकल सकते है। 
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